Monday, October 27, 2014

गजल-३४२ 

कथी करब से करू
उघाड़ हेबे करू 

सिनेह मनुखत्वकेँ
तँ राड़ नै हे करू 

मजाक करबाक अछि
तँ यार संगे करू 

कुनो जरूरी तँ नै
नगर घिनेबे करू 

विचार राजीवकेँ
तहँन अहाँ जे करू 

१२१ २२१२
@ राजीव रंजन मिश्र 

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