गजल-३४२
कथी करब से करू
उघाड़ हेबे करू
उघाड़ हेबे करू
सिनेह मनुखत्वकेँ
तँ राड़ नै हे करू
तँ राड़ नै हे करू
मजाक करबाक अछि
तँ यार संगे करू
तँ यार संगे करू
कुनो जरूरी तँ नै
नगर घिनेबे करू
नगर घिनेबे करू
विचार राजीवकेँ
तहँन अहाँ जे करू
तहँन अहाँ जे करू
१२१ २२१२
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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