गजल - ३३२
जतरा मंगलमय सुखदायी हो
सभकेँ जीवनमे तरुणाई हो
सभकेँ जीवनमे तरुणाई हो
बाँचल ख़ूंचळ जे किछु छल ललसा
रत्ती कनमाँकेँ भरपाई हो
रत्ती कनमाँकेँ भरपाई हो
गलती सोची नै कनियो कखनो
नीकक सदिखन सुनवाही हो
नीकक सदिखन सुनवाही हो
तूँ-तूँ हम हममे की हासिल
बेसी नै ज्ञानक दाबी हो
बेसी नै ज्ञानक दाबी हो
सभकेँ राजीवक ढेरी ढाकी
शुभ विजयादशमीक बधाई* हो
शुभ विजयादशमीक बधाई* हो
२२ २२२ २२२२
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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