Wednesday, October 8, 2014

गजल-३२५

घूमत फीरत नाचत अगरा कहतै दुर्गा पूजा छै
करतै सभटा झङकलहा आ कहतै दुर्गा पूजा छै

ढोलक पीटत चोंगा लगवा सातो दिनकेँ छुट्टीमे
फूहर देसी गीतक तङका कहतै दुर्गा पूजा छै

मैय्या बड खुश हेती सभ पर सोचे सभकेँ छी अतबे
पंडित काटत छागर भैंसा कहतै दुर्गा पूजा छै

बुढनेन्ना से बहकल सहकल बाते की नवतुरियाकेँ
कानय घर घर लक्ष्मी दुर्गा कहतै दुर्गा पूजा छै

राजीवो रहि गुमसुम देखल मनुखक सभ उतकिर्ना ई
देवी नामे अगता भगता कहतै दुर्गा पूजा छै

२२२२ २२२२ २२२२ २२२
©राजीव रंजन मिश्र

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