गजल-३३९
मनुक्ख नै सुनैए मनुक्खक गप्प
अनेरकेँ करैए निरर्थक गप्प
अनेरकेँ करैए निरर्थक गप्प
जखन जखन चलल चानकेँ चरचा त'
इयाद बड़ पड़ैए चकोरक गप्प
इयाद बड़ पड़ैए चकोरक गप्प
बुढ़े पुरानकेँ संग टा भेटत ग'
बचल खुचल किछो सदविचारक गप्प
बचल खुचल किछो सदविचारक गप्प
रहत कि आब किछुओ जगतमे थीढ
रभसि रभसि कुथैए अकक्षक गप्प
रभसि रभसि कुथैए अकक्षक गप्प
मरण हरण बुझा दैछ गुन राजीव
जिबैत खन बुझै सभ बताहक गप्प
जिबैत खन बुझै सभ बताहक गप्प
१२१२ १२२ १२२२१
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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