गजल-३३४
मोन थाकल माथ हारल की कहू की भेल अछि
आइ जगती सोच त्यागल चलि रहल धुरखेल अछि
आइ जगती सोच त्यागल चलि रहल धुरखेल अछि
टोकि जकरे टा दियौ से हाथमे लाठी उठा
कहि रहल जे टांग तोङब यैह बड बुझि गेल अछि
कहि रहल जे टांग तोङब यैह बड बुझि गेल अछि
लोभ खातिर सभ बिसरि सत फूसिकेँ पँजिया रहल
फूसि सेहो हँसि रहल जे कोन सभ बकलेल अछि
फूसि सेहो हँसि रहल जे कोन सभ बकलेल अछि
एक दिस जग पूजि रहलै माए धी देवी बनल
आर दोसर कात कन्या गर्भमे मरि गेल अछि
आर दोसर कात कन्या गर्भमे मरि गेल अछि
गप कहब खहियारि भन्ने बारि दी राजीवकेँ
नारि खातिर नारि माचिस नारिये टा तेल अछि
नारि खातिर नारि माचिस नारिये टा तेल अछि
२१२२ २१२२ २१२ २२१२
®राजीव रंजन मिश्र
®राजीव रंजन मिश्र
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