Wednesday, October 8, 2014

गजल-३३३

अहाँ केस आ हम कंघी छी
अहीँ आब जीवन संगी छी

ककर भेल काजक ई जगती
सभक संग सदिखन तंगी छी

सुनर नैन आ चंचल चितवन
मयुरपंख सन सतरंगी छी

बुझू आइ हम राजा नल आ
ऐल अहाँ बनि दमयंती छी

बनल प्रानप्रिय राजीवक जनि
सए जन्मकेँ संबंधी छी

1221 22 222
© राजीव रंजन मिश्र

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