भक्ति गजल-५
अनुपम छबि लखि नित बिभोर छी
माधब तौँ शशि हम चकोर छी
अन घन लछमी अंग अंगमे
भरिगर तौँ बस जग त' थोऱ छी
राधा रानी संग बाम दिसि
नख शिख अपरुप महि इजोर छी
अनुखन राखह निज चरण शरण
सहकल बहकल सठ अघोर छी
बिसरल जग राजीव भाबमे
लागल ठकबक गरबकोर छी
222 221 212
@ राजीव रंजन मिश्र
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