Sunday, June 30, 2013

गजल-७९



गजल-७९


धरू डेग त' सही बस ई धियान कए राखब

सदति मोनकँ सभक सभ धरि जवान कए राखब 


रहल संग जँ सभक दैवक विधान सेहो बदलब

विरल सोचसँ अबस नबका निशान कए राखब


कहाँ थीर भ' रहब आबो हिचक जँ रहल एना

कखन भागकँ अपन हाथक समान कए राखब


रहब टेढ जँ बनल दाँतेसँ बातकँ पकरब 

तखन जानिकँ अपन घर मसान कए राखब


भ' "राजीव" जँ रहब एक्कहि बात बुझब सभ मिलि 


रहत बाम जँ करम तैय्यो विहान कए राखब 


1221 112 22121 1222

@ राजीव रंजन मिश्र

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