गजल-७०
राति दिन ने भाग पेरतए
लोक जागत निन्न तोरि जखन
दैब भागक दीप लेसतए
बस चलू सोझे ध' बाट अपन
हारि जगती माथ टेकतए
नित बुझत करमक मरम जँ मनुख
सुर असुर मुनि गेह डेबतए
होउ जुनि "राजीव" बेकल सन
चान तारो आबि सेबतए
२१२ २२१ २११२
@ राजीव रंजन मिश्र
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