गजल:७६
बइसल धारक कातमे
भेटल ककरा पातमे
भेटल ककरा पातमे
रखलक सक्कत डाँर जे
जीतल बाते बातमे
जीतल बाते बातमे
जागल नित दिन राति जे
घिँउ छल तकरे भातमे
घिँउ छल तकरे भातमे
ताकब अनकर दोष टा
लागल रहि शह मातमे
लागल रहि शह मातमे
राखब नित "राजीव" धरि
लाजक पहरा गातमे
लाजक पहरा गातमे
2222 212
@ राजीव रंजन मिश्र
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