Friday, February 15, 2013

देश में लगातार भ रहल नारिक प्रति हिंसा आ बलात्कारक घटना सब मोनकँ विदीर्ण कए रहल अछि। किछु दिन पहिने आसाम दंगा मे नारिक अंग प्रत्यंग काटिकँ फेक  देल गेल छल आ टटका घटनाक्रम छी दिल्ली में देहमर्दनक,व्यथित मोनसँ  किछु पांति निकलि गेल,अपने लोकनिक सोंझा राखि रहल छी गजलक रूप मे:

गजल 25
कहियो अहि माटि पर पूजल जैत छली नारि
आइयो धरि घर कए सम्हारैत रहली नारि 

रहल सभ दिन एक्कहि टा रूप नारिकँ सौम्य
सहली सभ दुःख चुप्पे कहियो ने तनली नारि 

कहियो सजाओल जैत छल देह पर गहना
आजुक समाज में मुदा सभ रुपे लूटली नारि 

जन्म लेली माटि सए जाहि देश में जनकसुता 
ओहि ठाम कुकृत्यक कारने लाजे गरली नारि 

ओइल सधेबाक नव रूप देखबा में आयल
अंग अंग कटवा कए धरा पर खसली नारि 

जानकी द्रौपदी अहिल्या अनसुईयाक गाम में
गारि-मारि सुनि आ देहमर्दित भ' कनली नारि 

हदसँ बाहर भए गेल बात आबत' यौ बाबू
कामुक दराधक हाथे नोचा नोचा मरली नारि  
उठू उठू हे नारि अहाँ पुनि चंडी रूप देखाबू
जग कांपि उठै देखि जे घरसँ निकलली नारि  

"राजीव"जगाबैथि अहि माटिक माय बहिनकँ
कहिया धरि सहती सभटा बनि पुतली नारि 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१८)
राजीव रंजन मिश्र 






  

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