Friday, February 15, 2013

आतंक आ आतंकवाद

आतंकवाद कए रहल निनाद 
घर-समाज देशक सीमान धरि 
कतहुं सजग प्रहरी मारल गेल
बाल वृद्ध नारि कंपैत सभतरि
आबहुं जौं ने डाँर कसब सब 
त' मरब आतंके खहरि खहरि
प्रतिकार करब सीखी दोषीकँ 
ने जन्मत ने बनत भोकन्नरि 

आतंकवाद केर मतलब की बस 
सीमान हनन बमबाजीये टा छै
खनखन मर्दन जे होय मनुखक  
से की आतंकसँ छोट व्यथा छै 
घर कमजोर करब अप्पन आ
कहबय अनकर कैल कथा छै
टोल पड़ोस ने घुरिकँ ताकब
कहब सब सरकारक जथा छै  


आतंक वैह ने जे बम फैलाबय 
आतंक ओहो जे शांति मेटाबय
आतंक वैह ने जे छलसँ मारय 
आतंक ओहो जे बल देखाबय 
आतंक ने बस आतंकिक कैलहा
सभटा दुष्कर्म आतंक कहाबय  
आतंक ने कोनो जाति मचाबय 
लोकक बानि आतंक फैलाबय 

आतंकवादकँ  बात करय छी 
प्रतिवाद करैसँ मुदा डरय छी 
घर-समाज आ टोल पड़ोस मे
अनर्थ देखितो चुप्प रहय छी
शासन शासक पर दोष लगाकँ  
अपने रहि सब शांत सहय छी
चौक चौबटिया आतंकी पसरल 
छैक सरकारक दोष कहय छी ?
जौं दोषरहित रहितहुं अपना मे
साहस करैत की बैरी सपना मे
स'र-समाज मे सब जिबय छी 
सामर्थक सब लाभ बुझय छी 
आबू अपनाकँ समर्थ बनाबी 
जइर पकरिकँ फुनगी पाब़ी 
टोकी मुहें पर दोषी जुल्मीकँ 
आतंक आ आतंकवाद मिटाबी 
@ राजीव रंजन मिश्र  

  
  
   
  

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