Friday, February 15, 2013

जरा सी बात क्या कह दो वो आपे से बाहर हो जाएँ 
गुले गुलफाम जो कह दो वो अपने में शायर हो जाएँ 

इंसानियत तो आजकल बिकती है चंद सिक्कों में
लूटा दो हाथ से पैसे हर कोई जवाहर हो जाएँ 

सच बोलने की खफा क्यों करता है कोई आज के इस दौर में 
ऐसा न हो कि उनके रहमो करम से बेवस व कातर हो जाएँ 

जहाँ देखो वहीं एक हवा सी चली है बातों में सफेदपोशी की 
बस एक मौका लगे जों हाथ तो सब "राजा" के बिरादर हो जाएँ 

किसे पड़ी है आज कल भला इस देश और समाज की "राजीव"
सभी को सोचग्रस्त देखा कि बस कैसे दरिया से सागर हो जाएँ 

राजीव रंजन मिश्र

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