Friday, February 15, 2013


 शब्द/अक्षर/हर्फ/लव्ज़/ वर्ड ...

शब्द है फूलों की माला शब्द ही तो तीर है 
क़त्ल कर दे जिगर का शब्द वो शमशीर है 

चंद लब्जों के बदौलत इंसानियत महफूज़ है 
चश्मे दिल से देखें अगर सब हर्फ़ की तासीर है

हर्फ़ में जिन्दादिली रख कई शाहेआलम बन गये 
अल्फाज़ के मुफलिसी से बिगड़ा सैकड़ो तकदीर है 

तल्ख़ लहजे लब्ज के,उकूबत है अपने आप में 
जाबित सख्शियत हर दौर में पाता रहा जागीर है 

हर हर्फ़ जो निकले जुबाँ से बस शान्ति का पैगाम हो
"राजीव" नेकी कर सदा बस यह सही तदबीर है 

राजीव रंजन मिश्र 



शमशीर:तलवार 
तासीर :दिखावट,देखने पर जैसा दिखाई पड़े।
उक़ूबत:दंड,सजा,उत्पीड़न,यातना।
जाबित:कठोर नियमों का पालन करने वाला,अनुशासक।
हिमाक़त:बेवकूफी,मुर्खता 
सियासत
क़यादत 
अदालत
 हिमायत 
किल्लत
शरारत
हालत
नफरत
इज़्ज़त
हरारत
इबादत,दावत,अदावत,खयानत,साअत,शराफत,सदाक़त,हजामत

माहताब ,शबाब,लाजवाब,आफ़ताब,नकाब,

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