आबु होरी खेली हम सब,पान आ मखान सन!
आबु होरी खेली हम सब,मिथिलाक बखान सन!!
आऊ मनावी होरी जमि क,अबीर आ गुलाल सँ!
जे मोन ओत-प्रोत भ जै,सुमधुर मिष्ठान्न सन!!
आबु होरी खेली हम सब,नारिक प्रति सम्मान सन!
आबु होरी खेली हम सब,सदभावना सँ मोन- प्राण सन!
जोर जबरदस्ती नहि करी, आ नै मचाबी ओ हूड़दंग!
जे बनि जै पूरा टोल, रातिक टटूआयल श्मशान सन!!
आबु होरी खेली हम सब,राधा-कृष्ण रसिया महान सन!
आबु होरी खेली हम सब,पुनीत-पावन ब्रजधाम सन!!
आऊ मनावी होरी जमि क,एहि शपथ आ संज्ञान सँ!
जे उतरै नहि जल्दी,होरी में लागल भांग सन!!
आबु होरी खेली हम सब,स्वतंत्रताक शान सन!
आबु होरी खेली हम सब,गणतन्त्रक मान सन!!
भरि-भरि पिचकारी,मारी फुहार तीन रंग केर!
जे जतय खसै,ओतय बनि जाय हिंदुस्तान सन!!
---राजीव रंजन मिश्र
०७/०३/२०१२
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