गगन से तारे मैं तोर लाता,बस एक तुम्हारा जो साथ होता!
सहरे मे भी मैं चमन खिलाता,राहे-जीन्दगी मे जो तुम्हे न खोता!
कदम भी मेरे बह्कते न ऐसे,खुशी के आलम मे मैं यूं न रोता!
दिल ने मेरे जो अरमान पाले,गमों के आँसु से उन्हें न धोता!
तेरी मोहब्बत को पा कर जालिम,मै खुशकिस्मती का मिशाल होता!
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