Saturday, November 17, 2012


अभी कुछ दिनों पहले रात को मुख्य समाचार देख रहा था तो सुना कि हरिद्वार सहित दुनिया के कई भागो में, जंगलों में रहस्यमय तरीके से आग लग रही है जो कि प्रशासन  द्वारा सम्हाले नहीं सम्हल रही,मै पूरी समाचार देखकर कुछ सोच में डूब गया और चंद पंक्तिया निकल पड़ी दिल के गहराई से...पेश है आपके खिदमत में:

प्रकृति के बदलते रूप का,कोई नहीं जवाब है!
एक क्षण में पानी तो दुसरे पल में आग है!!

प्रकृति अपने आप में,सबसे बड़ा शाहंशाह है!
जहाँ सभी थक जाते उसके आगे प्रकृति की राह है!!

प्रकृति के असीमित आगोश में,हैं ऐसेअनगिनत अजूबे!
देख-सुन कर जिन्हें,धरे रह जाते है इन्सान के मंसूबे!!

प्रकृति अपने आप में,ममतामयी माँ के समान है!
गर पलते रहे गोद में तो राहत में अपनी जान है!!

प्रकृति से खिलवाड़ करना,है ख़तरे से खाली नहीं!
आग चन्दन से भी निकलती,है किसी ने सच कही!!

हम चेत जाये समय रहते,इसी में इंसानियत की भलाई है!
महत्वाकांक्षा के दौड़ में हमेशा सभ्यता,प्रकृति से मात खाई है!!

जंगल में आग लग रही है,समन्दर में आ रहा भूचाल है!
चेत लो मानव! प्रकृति के बदले मिजाज़ की ये कमाल है!!

राजीव रंजन मिश्र
२९.०६.२०१२

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