Sunday, November 25, 2012


मौका पाबिते
सहकाबय खुब
जगत मिथ्या !!
अप्पन लाभ
देखय सदिखन
मनुक्ख स्वार्थी !!
ज्ञानी पुरूष
स्वार्थक वशीभूत
अन्हरायल  !!
अप्पन  छोङि
लागल सबक्यऊ
दोसर पाछु  !!
समर्थ  लोक
चद्दैर ओढि कय
पिबैत घिउ !!
मान मर्यादा
नहिं  देता ककरो
आजुक  पिढी !!
लाज लेहाज
सबटा मेटलक
निर्लज्ज भेल !!
कहब याह
सम्हरु सबगोटे
लाज बचाउ !!
चरित्र निष्ठा
मानव  कल्याणक
उपाय  मात्र !!
राजीव  रजंन मिश्र

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