Saturday, November 17, 2012


गजल-११ 

नै जानि मिथिला मैथिलीक संस्कार कहाँ चलि गेल यौ 
मिथिलाक पावन माटिक व्यवहार केहन भेल यौ 

सभ घुमि रहल मउल साजि सबतरि चहुँ दिस 
लागल निशि-वासर खिंचय म सबहक नकेल यौ 

खेत खरिहानक उपजा बारी आ लोकक खुशहाली 
मिटा रहल छै साले साले रौदी आ बाईढक मेल यौ

मोनक भार आ करेजक साती बेटी छै भेल किएक 
ई सवालक ने हल कोनो बढ़ल दहेजक खेल यौ 

सीता मिथिला क बेटी भ जीवन भरि कानैत रहली 
मिथिलाक बेटीक भागे कानबे किएक लिखि देल यौ   

स्वार्थे अन्हरायल सभ बेटी के गर्भहिं मारय छथि 
जौ नहिं चेतल तुरन्त त झखब नारि कए लेल यौ 

सुनल कलियुग सोचल कहल आ कैल टा मानय   
'राजीव' चालि प्रकृति सुधारी जुनि बनी बकलेल यौ 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-२०)

राजीव रंजन मिश्र 

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