Saturday, November 17, 2012

आबु यौ बाबु भैया,बैस क करी कनिक विचार 
सब गोटे छी बाप-भाई ,सबके अछि धिक्कार 
नारी शोषण,दहेज़ प्रथाक करैत छी सब प्रतिकार 
मुदा मोन स छोड़य ला,नहि छी क्यउ तैय्यार 

काल्हि तक छल  समस्या,आइ बनल संघाती प्रहार 
आबहूँ  नै जौं डाँर कसब त,भ जायत सबहक संहार 
बेटी बेर में मोछ झुकौने,बेटा काल में धनुषटंकार 
कथनी-करनी में भेद मिटा क,करी उचित व्यवहार 

आबहूँ नै जौं हम-अहाँ सचेतलौं,त भ जैब लाचार
आबु संकल्पित भ क,दहेज़ दानवक करी निस्तार 
बेटी के मानी समकक्ष आ दी बेटा सन अधिकार
नारी शिक्षा के मोल बुझी आ करी एकर विस्तार

नहि जानि कहाँ चलि गेल,मिथिला-मैथिलिक संस्कार 
जनकलली केर जन्म-भूमि पर बेटी भ गेल अछि भार 
मिथिलेशक प्रण के मोन पारि,राखी यैह  भाष-नियार 
मोनक राखल शिव-धनु जे तोड़ता तिनके देबैन गलहार 

राजीव रंजन मिश्र
१५.०६.२०१२

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