Sunday, November 25, 2012


जन्म हुआ है
मानव योनि पाया
सार्थक करे !!

जब से आये 
माँ-बाप परिवार
आश लगाये !!

बचपन में 
लाड़-दुलार पाया
जवानी आयी !!

शादी होते ही 
सब कुछ बिसरे 
हो मदमस्त !!

परिवार में 
दो और जुड़ गये
पालने लगे !!

अपने बच्चे 
जान से बढ़कर 
समझें सभी !!

ख्याल ना रहा 
जिम्मेदारी अपनी
माँ-बाप प्रति !!

जिसने  कष्ट 
हजारों है उठाये
पालन किया !!

वो माँ-बाप ही 
पराये हुए आज
कर्त्तव्य भूले !!

साकांच रहें
दुहरायी जाती है
इतिहास ही !!

कर्मो  का फल
मिलेगा आपको भी
समय पर !!

राजीव रंजन मिश्र 

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