Saturday, November 17, 2012



चलब कोन ध नै अगुआयब 
फेर निज अधिकार नै पायब

सोचि नियारि किया बइसल छी
किन्नहूँ घर स नै बहरायब

दुनिया कथमपि नै पलटत
अपन दोष जँ नै पतियायब 

आउ शपथ खाई सब संगहिं
आब आर हम मुहं नै बायब 

मेल मिलाप राखि संग रहब
गलत  बाजि  बैरी नै बढ़ायब 

अप्पन दुनिया सजबी अपने  
भीख मांगि अधिकार नै पायब
राजीव रंजन मिश्र 
२०.०७.२०१२

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