Sunday, December 9, 2012


सखी वो तान मुरली की,
तुम्हें कैसे सुनाऊँ मै,
मधुर मुस्कान कान्हा की-2
तुम्हे कैसे दिखाऊँ मै !
सखी वो................
वो बंशी जब बजाते हैं
कि गौऐँ दौङ आते हैं
वो मुरली की मधुर धुन पर-2
सब कुछ वारि जाऊँ मैं!
सखी वो...............
वो वृन्दावन की गलियों मे,
वो बरसाने की महलों मे,
बङे ही प्यार से मोहन-2
सखाओं को नचाते हैं!
सखी वो................
सुदामा के गले लगकर,
उसे तिहुंलोक देते हैं,
अचम्भित हो पङी रूक्मिणि -2
सखा ये कौन आया है!
सखी वो..............
कभी वो रण मे अर्जुन को,
कभी वो प्रिय युधिष्ठीर को,
सखा धर्म निर्वहन करना-2
स्वयं निज मुख बताते हैं!
सखी वो.................

बढ़ाते चीर द्रौपदि का
बचाते गज को आ कर के,
वो कैसे भक्त के खातिर -2
खुले पग दौङ आते हैं!
सखी वो...........
सुनो "राजीव" जीवन में,
सखा बन जाएँ कृष्णा तो,
कटे भव सिंधु का बंधन -2
यही ग्रंथन बताते हैं !
सखी वो...............
राजीव रंजन  मिश्र 

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