Thursday, July 3, 2014

गजल-268

गजलकेँ गजल हिसाबे देखू
कठिन नै सरल हिसाबे देखू

करै छी सदति प्रेषित जे तकरा
चरन रज कमल हिसाबे देखू

सही आ गलत कथी छी जगमे
असल आ नकल हिसाबे देखू

निहित भाव छैक रचनामे तैँ
सुनल आ घटल हिसाबे देखू

जँ राजीव देखबाकेँ ललसा
तँ चातक चपल हिसाबे देखू

122 12 122 22
©राजीव रंजन मिश्र

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