Wednesday, July 30, 2014

गजल-२८९ 

दुआँ बनि दवाइ काज करै
खुदा नै खुदाइ काज करै

जगतकेँ हिसाब यैह रहल
कि अगबे भलाइ काज करै

जे थिक जवाबदेह तकर
उचित कारवाइ काज करै

मुतत लोग आगि बेस मुदा
असलमे सलाइ काज करै

कि राजीव सोच ञान जरल
मनुख बनि कसाइ काज करै

12 2121 2112
© राजीव रंजन मिश्र

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