Wednesday, January 1, 2014

गजल-१६२ 

अंग्रेजी नववर्षक जोश खरोशसँ भरल अवसर पर समस्त मिथिला मैथिल,जेठ श्रेष्ट आ सखा बंधू लोकनिकेँ सादर आ सस्नेह हार्दिक शुभकामनाक संग प्रेषित अछि हमर ई गजल अपने ज्ञानी गुनी जनकेँ सोँझा :

अपन संग होइक बस सभ हालमे 
नवल सोच होइक ऐ नब सालमे 

चलू फेर सभ गोटे मिलि जाइ आ 
खिला दी कमल सगरो महि थालमे 
 
बदलि लेब दुनियाकेँ अपनेसँ हम
रहत फेर तागत नै जंजालमे  

समयकेँ त कोसब वीरक बानि नै 
बड़ी शान सौरभ छै सुरतालमे 

सखा यैह राजीवक शुभकामना 
रही स्वस्थ सुधिगर सभ सभकालमे 

१२२१ २२२ २२१२ 

@ राजीव रंजन मिश्र

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