Wednesday, June 4, 2014

गजल-२४६ 

अहाँक दाबी झूठक छी
पथार फूइस बातक छी

सुरा सुनरिमे डूबल रहि
बनल समाजक सेवक छी

अनेर बाजू जुनि बेसी
बढल लचारी भूखक छी

अहाँ बुझब ने कहियो दुख
सवाल पापी पेटक छी

करेज दरकल राजीवक
लिहाज गांधीवादक छी

121 22 222
@ राजीव रंजन मिश्र 

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