Monday, June 2, 2014

गजल-२४४ 

उठल जे नजरि ओ तहलका मचा गेल 
सभक मोनकेँ चान तारा लखा गेल 

जखन फेर खसलै उठल आँखि लाजे तँ 
हिया पर तड़ातड़ कटारी चला गेल 

अनेरो सबेरे सकाले बटोहीक 
सधल डेग सेहो रभसि तरमरा गेल 

हकासल पियासल उताहुल हियाकेर 
हुनक बोल मिठगर तँ बाजा बजा गेल 

बड़ी पैघ ओ छैथ हरजाइ राजीव 
लहासक सनक गति हमर छथि बना गेल 
  
१२२ १२२ १२२ १२२१ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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