Sunday, June 15, 2014


गजल-256

धिया पुताकेँ आस पिता छैथ
सरल हियक विस्वास पिता छैथ

सही गलतकेँ बोध कराबैत
सटीक पुूर्वाभास पिता छैथ

भने पितैले धरि हियमे नेह
चटक मटक खटरास पिता छैथ

जनैत सभकिछु दुनियादारीक
मुदा गढल विन्यास पिता छैथ

सखा सहोदर फूलि फलल नित जँ
धरम करमकेँ वास पिता छैथ

जँ बाट धैलक पूत गलत फेर
तँ दुखसँ नै उग्रास पिता छैथ

रहल कपारक तेज भ' राजीव
हमर पिताजी खास पिता छैथ

1212 221 1221
© राजीव रंजन मिश्र 

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