Monday, May 26, 2014

गजल-२३८ 

फूल नै प्रतीक होइछ शांतिकेँ
कर्म टा मशाल बारय क्रांतिकेँ

नै करब विचार नै थिक नीक गप
ई करय प्रसार मोनक भ्रांतिकेँ

चाह नै यथेष्ट अगबे जीत लै
बिनु क्रिया खसब कहब बेदांतिकेँ

पानि राखि आखिँ नित चँउचक रहत
नै असर पऱत कुनो चक्रांतिकेँ

आह नै गरीबकेँ राजीव ली
नोचि खाय ई हियक सुख शांतिकेँ

212 121 22 212
@ राजीव रंजन मिश्र 

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