Saturday, May 31, 2014

गजल-२४२ 

कत रौदी क़त दाहड़ धैने
गुमनामीकेँ आँचर धैने

जीबि रहल छी मुँह पर पट्टी  
आ छाती पर पाथर धैने 

जीलहुँ मरलहुँ सदिखन घुटि घुटि 
दृज्ञानक दू आखर धैने 

मोनक जे छल संगी तुरिया 
घुसकल रस्ता पातर धैने 

गुण बिसरब नै गुन राजीवक 
सुधि बुधि छी निसि वासर धैने 


२२२२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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