Tuesday, April 29, 2014

गजल-२२५ 

मायक नै थिक जोड़ ने बिसरब 
हुनका बिन सभ थोड़ ने बिसरब 

बिसरब सभटा बातकेँ सभ धरि 
कखनो लागब गोर ने बिसरब 

मायक निश्छल नेहमे सींचल 
जगती पोरे पोर ने बिसरब 

आशीर्वादक छाँहमे रहने 
कखनो नै छी खोड़ ने बिसरब 
 
लाखे व्यंजन होइ ने कतबो 
बथुआ सागक झोर ने बिसरब 

यौ बाबू सभ नेहमे छानल 
गामक ओ तिलकोर ने बिसरब 

राजीवक बस एक नेहौरा 
मायक माटिक नोर ने बिसरब  

२२२२ २१ २२२ 
@  राजीव रंजन मिश्र 

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