Tuesday, April 15, 2014

गजल-२१७ 

ई देश पड़ल अछि सारा सन 
धरि लोक उताहुल पारा सन 

अछि फेर चुनावक मौसम तैं 
बड़ बोल सुनब जयकारा सन 

जे बाजि रहल हम छी संगे 
से लागि रहल बिषहारा सन 

धुरखेल पुरनगर वोटक ई 
नेता तँ रहत ध्रुबतारा सन 

राजीव मरब हमहीँ आँहाँ 
कसिया कँ निचोरत गारा सन  

२२१ १२२ २२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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