Monday, April 7, 2014

गजल-२१३ 

ई अहम खा जाइ छै 
भाग नै फरियाइ छै  

बात अनकर की करब 
मात यूवी खाइ छै 

बेर कालक चूक बड़ 
आँखिमे गरियाइ छै  

बाँहि पूरब छोटकेँ 
काज अजगुत भाइ छै 

गारि पढ़ि राजीव नै  
ख़ास सरियाइ छै 

२१२ २२१२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

बात छोटक की करब 
मात बड़को खाइ छै 

बात लोकक की करब 
मात दैवो खाइ छै 

बात आनक की करब 
मात दिग्गज खाइ छै 

बात मूसक कि करब 
मात बाघो खाइ छै 

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