Monday, November 4, 2013

गजल-१३७ 

ईजोतक पावनिकेँ हल्ला बना देलक लोक
सुड्डाहल टाका मोहल्ला उड़ा देलक लोक 


हो कोनो अबसर कतबो जे पवित्र होइक साँझ
सगरो देखू दारुक नल्ला बहा देलक लोक 


बहुतोंकेँ नै दू कौर टाकेँ जोगार
दाबल दानाकेँ आ गल्ला सड़ा देलक लोक 


अपनों घर नै सम्हरल जकरा बुते सरकार
गामे गामे बातक बल्ला चला देलक लोक 


कत्ते अछि जीबट से देखल गुम राजीव
दिन देखारे सतकेँ कल्ला दबा देलक लोक 


२२२ २२२ २२१२ २२२१ 

@ राजीव रंजन मिश्र


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