Wednesday, November 13, 2013

गजल-१४२ 

नेह सेहो शर्तक संग छैक आइ
लोक मारल मोनक दंग छैक आइ

कोन तरहे बाँचत लोक मोन मारि
भेल सगरो अजगुत रंग छैक आइ

के करत कोना निरबाह बोल केर
हिय सिनेहक डाहल तंग छैक आइ

तान बदलल लोकक छोऱि छाऱि नेह
भास करगर देहक अंग छैक आइ

कोन बातक थिक राजीव कष्ट घोर
बेलगामक सभ सारंग छैक आइ

2122 2221 2121
@ राजीव रंजन मिश्र

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