Thursday, September 11, 2014

गजल-३१३ 

हजार लाखमे कदरदान बढत
कनी जँ ताकि देब दिअमान बढत

गमकि रहल गुलाबकेँ फूल अहाँ
जकर कपारमे तकर मान बढत

कुसुम पराग सन सरस रूप निरखि
लजा कँ बाट पर अपन चान बढत

आकाशमे चमकि रहल चान सनक
उतरि कँ आउ आर गुनगान बढ़त 

जते लिबा कँ माथ राजीव रहब
ततेक मान दान अहसान बढ़त  

12 1212 1221 12
@ राजीव रंजन मिश्र 

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