Wednesday, September 10, 2014

“भोज"

भोज रे भोज
कहिया हेबह सोझ
बारहो मॉस तीस दिन
तौँही बोझक बोझ  

गाम गाम नगर नगर
पँहुचल तौँ डगर डगर
तोरे टा लेल भ' रहल
चारू दिस उपरोझ 

टेढ़ टाढ सोझ साझ
सभटा चाही साज बाज
के छोट आ पैघ के
सभठाँ चलल तोरे राज 

बियाह जनउ श्राद्ध कर्म
तोरा बिनु नै कोनो मर्म
तोरा बिनु कि कखनो बाबू
निमहल ककरो लौकिक धर्म

नेन्ना जनमल तखनो तौँ
बाप मरल ताहूमे तौँ
करजा ल' क' काज निमाहल
छोङलहक ने तैय्यो तौँ

मोनक अछि सवाल धरि
सुनिते लाजे जेबह गरि
अंदाज छल कि कखनो तोरा
भ' जेबह तौँ एहन नमरि 

हौ बाबू तौँ भाभट समटह
तखने तोरो शान निमहतह
तोरो मानत लोक विशेष
चर्च करत आ खनहन रहतह

@ राजीव रंजन मिश्र
कोलकाता

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