Monday, July 8, 2013

गजल - 83


गजल - 83 

ई जुनि पूछब हुनका पाछू राति गुजारल हम कोना
कुहरल हदरल मारल मोने नेह निमाहल हम कोना 

पाथर रखने दाबल मोने डेग भरल जरनाठी पर
हुनका खातिर बनि बउरहबा दीप पजारल हम कोना 

झाड़ब हुनकर पल्ला सक्कत काँच सनक हिय तन्नुक छल
झखरल मारल खहरल सदिखन स्वप्न सकारल हम कोना 

ओ बेदर्दिक बाते की जे खंड हमर मोनक कैलक
देखल नै घुरि एक्को बेरी बाट निहारल हम कोना 

रहलहुँ सतपथ धैने नित "राजीव" मुदा भेटल किछु नै
घोंकल घाँकल जल छल सगरो हाथ पखारल हम कोना 

२२२२  २२२२ २११२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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