Wednesday, July 10, 2013

गजल-८४

गजल-८४ 

किछु नै भेटत भसिएलासँ
हासिल सभटा सरिएलासँ

सत जे जानल ऐठम भाय
से चमकल छल कतिएलासँ

ककरा सहजे भेटल बाट
सगरो सदिखन लसिएलासँ

हारल कखनो नै दिन राति
सुधि बुधि टा गहि पजिएलासँ

दुख धन्धी भागत "राजीव"
सभ मिलि सभतरि बतिएलासँ

2222  2221
@ राजीव रंजन मिश्र 

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