Friday, May 3, 2013


गजल-५४

ई मोनक तार छूअल के
आ चैनक नींद तोड़ल के 

छै पुनमक चान पसरल धरि
ईजोरक धार मोड़ल के 

ने गैलहुँ गीत कोनो हम
मधुगर झंकार छेड़ल के 

कोना रहि ठाढ़ जीयब हम
दुःख दर्दक खाधि कोड़ल के 

"राजीव"क हाल मूइल सन
अधमारल आइ छोड़ल के 

२२२२१ २२२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

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