Friday, March 15, 2013


गजल-४० 

भौंहक हुनकर कमानी गजब ढाहल यौ 
नैनक धरगर कटारी हतल मारल यौ

ठोरक रंगत समौने विरल लाली छल 
गालक लालिम दुनाली चलल दागल यौ 

यौवन लगबय पसाही सरस गोपी सन 
डोलल सबहक करेजा हिया भासल यौ 


आंगन टपलथि जखन ओ हुरकि लुधकल सभ 
डाँरक लचकब नचाबै सहकि मातल यौ   

कौखन "राजीव" ककरो बुझल ने किछुओ 
देखल हुनकर जुआनी बनल पागल यौ 

२२२२ १२२  १२२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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