Tuesday, March 12, 2013

गजल-३८ 

हारल के आ जीतल के
माथक टेटर देखल के

मारल करमक अपने सभ
दोसरके दुख बूझल के

टेमी बारल बातक टा
करमक डिबिया लेसल के

साती मोनक टभकै बड
लचरल घरके डेबल के

"राजीव"क ई अवधारल
सतपथ धेने डूबल के 

222 2222
@ राजीव रंजन मिश्र 

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