Thursday, March 28, 2013


फागक आनंद अहूँ सभ ली,अहि गजलक' संगे!

गजल-४३ 

बड मदमातल ई काल बसंतक
सुख सहियारल छै चाल बसंतक

खन रभसल खन झकझोरि झुमौलक
चित झंकारल यौ हाल बसंतक

फाल्गुन मासक अहलाद रमनगर
अति मनभावन सुर ताल बसंतक

शीतल मृगमद सन झोंक पवन बहि
गमकै सुन्नर निर्माल बसंतक

यौवन दहकल रमणीकँ जरौलक 




सहकल बौरल नर झाल बसंतक

मनसिज निसि वासर रूप सजाबय
रंगे रोगन करवाल बसंतक

फगुआ गाबी रस भांग चढ़ा नित
गल"राजीव"क अछि माल बसंतक 


२२२२ २२१ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र

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