Wednesday, August 27, 2014

गजल-३०२ 

कहबाक लेल विद्वान छथि ओ
जनताक लेल धरि चान छथि ओ 

की चालि ढालि अनका सिखौता 
बस नामकेर गुणवान छथि ओ 

बनता नवाब छटताह इंग्लिश 
जनि सेक्शपीयरक शान छथि ओ 

सुकुमारि नारि देखल कि बाबू 
सभटा बिसरि कँ कुर्बान छथि ओ 

अनपढ़ गँवार राजीव जगती 
गुन ज्ञान केर खरिहान छथि ओ 

२२१ २१ २२१ २२   
@ राजीव रंजन मिश्र 

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