Sunday, August 24, 2014

गजल-३०० 
समस्त मीत,बंधू-बान्धव,सखा-सिनेही,जेठ-श्रेष्ठ,हित-अपेक्षित आ सभसँ बेसी भगवानक असीम अनुकम्पाक बले आई अपने सभ लोकनिक समक्ष प्रेषित कए रहल छी ई ३००ऍम गजल। ओना कहबाक बात टा थिक,संख्याँ कोनो विशेष माने नै राखैत छैक तहँन हाँ संख्याँ किछु नै थिक सेहो गप्प नै,तैं कनी उत्साहित आ भावुक अबस छी मुदा ई उत्साह ऐ मुखपोथिया परिवारक बदौलत,मुखपोथिया गुनी-ज्ञानी जनक सिनेहक बले आ भावुक ऐ लेल जे नेनपनेसँ जखन सारगर्भित आ शांत मधुर संगीत दिस रूचि छल तँ अभिभावक विशेषकँ हमर माए(जिनका चलिते हम जे किछु टा छी से छी) बड चिंतित रहैत छलीह आ हाँटन-डाँटन प्रयोजन हिसाबे मारि-धारि आ तोड़-फोड़(रेडिओ-टेपकें) धरि करए छलीह मुदा हमरा तँ जोह लागि गेल छल। जीवन अबाध रूपें चलैत रहल आ दैनिक दिन चरजाक क्रममे घुरि कँ तकबाक पलखैत नै भेटल मुदा मोनक जे भाव छल से कागद पर नित अनवरत रूपें उतरैत रहल ओना बड कम्मकेँ सहेज कँ राखि सकलहुँ। ऐ ठाम एक गोट गप कहब बड्ड जरूरी बुझना जा रहल अछि जे हमर जन्मे टा गाममे भेल अछि,पालन-पोषण आ पढ़ाइ -लिखाइ सभटा कोलकाताक उपनगरीय क्षेत्रमे,गाम आन-जान नेनपनसँ लागल रहल आ आइ धरि माटि पानिसँ जुरल आ जुरैल छी। मिथिला मैथिली सभदिनसँ आकर्षित आ आनंदित कैलक तकर प्रमुख कारन रहल प्रवासी रहितो हम सभ जेना गामेमे रहलहुँ,स्थान थिक कोलकाताक बेलुर जाहि ठाम आइकें दिन धतपत दसेक हजार मैथिल बसोबास कए रहल छथि,अस्सीक दसकसँ "मिथिला सेवा समिति" छल जे आइ धरि अछि आ मैथिल जन-गनकेँ मिथिला-मैथिलीक बोध करबैत रहल अछि।
उल्लेख करबाक प्रमुख कारन जे यैह ओ माध्यम थिक जाहि मादे मिथिला विभूति सभक दर्शन नेनपनसँ होइत रहल आ ई अकिंचन मोन स्व. बाबू साहेब चौधरी जी,जयधारी सिंह "प्रभाकर"जी,अशर्फी झा "अमरेश"जी,डा० इला रानी सिंहजी,बुद्धिनाथ झा जी,रामलोचन ठाकुर जी,कामदेव झा जी,प्रवचनकर्ता आ भजन गौनिहार स्व० रामनंदन मिश्र जी आ बौआ हनुमान(जरैल) सनक मैथिल विभूति सभक दर्शन कए तिरपित आ आलोकित होइत रहल,हुनका सभकेँ हमर अशेष प्रणाम। 
हमर रचनाधर्मिताकेँ नव आयाम आ पाँखि देलक कंप्यूटर पर हिंदी टंकणक सुविधा आ तत्पश्चात जालवृत्ति पर विदेह समूहसँ जुरनाइ जाहि लेल हम हार्दिक आभारी छी अनुज आशीष अनचिन्हार आ "अनचिन्हार आखर"क जे कि नीक काज कैला आ कए रहल छथि मैथिली साहित्यक मादे,सत तँ सत होइ छैक जे हमर रचनाधर्मिताकेँ पाँखि लागल मुखपोथी आ अंतरजाल पर पसरल विदेह,मिथिलांचल,मैथिली पॉइंट ऑफ़ व्यू सरिस समस्त मिथिला-मैथिलीकेँ समर्पित समूह सभसँ। हम अंतरात्मासँ आभारी छी मुखपोथिया परिवारक आ पाठक वर्गक जाहिमेसँ किछु गोटेकेँ नाम नै लेने मोन नै मानत जेना कि भास्कर जी,चन्दन जी,ओमप्रकाश जी,पंकज चौधरी जी,आशीष जी,अमित मिश्र जी,जगदानन्द मनु जी,रुपेश जी,प्रकाश झा जी,शिव कुमार झा जी,अनिल मल्लिक जी,सुनील कुमार पवन जी,आदरनिया शेफालिका वर्मा जी,गुड्डो दादी जी,मृदुला प्रधान जी महाशया बिनीता झा जी,सारिका ठाकुर जी,निर्मला चौधरी जी,शांतिलक्ष्मी चौधरी जी,श्रीमान सत्यनारायण झा जी,जन आनंद मिश्र जी,विजय चन्द्र झा जी,मनोहर मिश्र जी,विमल मिश्र जी,धर्मनाथ झा जी,सतीरमन झा जी,राकेश कुमार निधि जी,कृष्णदेव झा जी,उपेन्द्र लाभ जी,मैथिल प्रशांत जी,अक्षय आनंद जी,शैलेश कुमार दास जी,गोपीरमन झा जी,बिनय कुमार जी,अशोक झा जी आ अनेकानेक बंधुगनक जिनक नाम गनाएब संभव नै जिनक उत्साहवर्धन आ बेर कुबेर सलाहक बले आइ हम ई दिन देखल। विशेष आभारी छी हमर स्थानीय चिर-परिचित आ वरिष्ठ साहित्यकार बिनयभूषण जीक जे कहियो हमरा प्रेरित कएने छलाह मैथिलीमे लिखबाक लेल आ हमर किछु हिंदी रचनाक मैथिली अनुवाद कए अपना पत्रिकामे छापने रहैत,वरिष्ठ रंगमंच अभिनेता,नाट्य निर्देशक आ साहित्य प्रेमी श्रीमान भवनाथ झा जीक,जिनका हम अपन पहिल मैथिली रचना प्रेषित कएने रही आ अइयो धरि हुनक संवर्धन भेटैत अछि,चंद्रमोहन जी आ रामकुमार मिश्र जीक सन किछु मीत-भजारक नाम नै लेने ई अंतरात्माक भाव सम्प्रेषण आधा-छिधा रहत किएक तँ ई सभ समय समय पर हमर लिखल-भाखल अनर्गल गप्प सभ सुनैत-सहैत रहैत छथि।
किछु सुधिगन नियमित रूपेँ हमर गजल सभकेँ साझा करैत रहलाह अछि अपना वाल पर,हुनक सभक हम हार्दिक आभारी छी।  
विशेष आभार श्रीमान गंगेश गुंजन जीक जनिक स्पष्वादिता आ मार्गदर्शन प्रभावित आ उत्साहित कएलक। 
बुझबाक आ सुनबाक लेल धनबाद कोटि कोटि
किछु सोचि बुझि गमबाक लेल धनबाद कोटि कोटि
नै जानि कोना चीर मोन आभार हम जताउ
भाखल हियक पढबाक लेल धनबाद कोटि कोटि 
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आ प्रेषित कए रहल छी  ३००एम गजल:

कुदकब फानब भरि दिनका बड मोन परैए
बाल सुलभ ओ चंचलता बड मोन परैए

सभ छल अपना चीन्हल जानल टोल परोसक
द्वंद रहित ओ जीवन हा बड मोन परैए

भाइ टकाकेँ खगते की छल ताहि समयमे
धान भरल ओ जेबी टा बड मोन परैए

एक मिनट नै चेैनक खन भेटै छै ऐ ठाँ
कहाँ रहै किछु बेगरता बड मोन परैए

बैस निहारै टकटक छी राजीव गगनकेँ
आइ सखा गानब तारा बड मोन परैए

2112 2222 221 122
@ राजीव रंजन मिश्र 

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