Tuesday, March 18, 2014

गजल- 198

हाय रे अपना माटिक टान
भात दाइल तरकारिक टान

चाह नै छप्पन ब्यंजन केर
गामकेँ दिसि टा साबिक टान

आर के जीतत परतरमे जँ
आमकेँ मासक गाछिक टान

देखने हेबय सभगोटे तँ
गायकेँ खातिर बाछिक टान

गाम आ माए लै राजीव
नै अभागल टा प्राणिक टान
212 22 2221
@ राजीव रंजन मिश्र

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