Monday, March 10, 2014

गजल-196

बाभनबाद जँ बड्ड खराब तँ राड़पनो ठीक नै
दुन्नू चालि प्रकृतिकेँ* दोष समाजक लै नीक नै 

कहबी छैक कएल धएल पड़य बापक* पूत पर
से गप सभकेँ* लेल कहल बाँचत* ककरो* टीक नै  

औ ओहै मुँह* पान खुआबय आ जुत्तों लोककेँ
तैं ई होश रहय जे* बीच सड़क फेकब* पीक नै 

आगू आबि विधान बदलि दी* बुधियारी* ताहिमे
पुरखाकेँ उकटब* आ* गरियैनाइ* सही लीक नै 

नै राजीव झऱत किछु* जाति कि पाँति सनक बातमे
जय जयकार करू गुनकेँ* अल्लाँ*-फल्लाँ* जीक नै

२२२१ १२१ १२११ २११२ २१२   
 @ राजीव रंजन मिश्र
* चिन्हीत शब्द सभमे दू गोट हर्स्वकेँ दिर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि!

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