Wednesday, September 18, 2013

गजल-१०५ 

आइ देखू कोन ई बिधान सीखल गेल
सोन संगे कान गेल भाग दोषल गेल

भाग केर बात की करब अहाँ सरकार
सोझ साझ लोक केर हाथ तीतल गेल

राज पाट लुटि रहल करत तकर के सोच
पार घाट जे करत हपोसि बोतल गेल

लोकतंत्र भेल नाश तोऱि सभटा बान्ह
दोग कोन माझ ठाम लोक मारल गेल

जाहि बाट नीक सोचि गेल छल राजीव
देखि खेल चोरि केर मोन बेकल गेल

2121 212 121 2221
© राजीव रंजन मिश्र 

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