Tuesday, June 25, 2013

गजल-७ 

जिनगी झहरि झहरि नित गरदा बनल हमर यौ 
गुमसुम रहब सदति बस चरजा बनल हमर यौ 

संगे चलल कहाँ क्यौ गहि देह आर पाँजर 
सभ संग नित रहब टा खगता बनल हमर यौ 

संस्कार आ विवेकक बाते त' जुनि करब बस 
जानक जपाल बाबू सभटा बनल हमर यौ 

निस दिन रहल उताहुल सिखबाक लेल नब किछु 
धरि चालि यैह थेथ्थर सटका बनल हमर यौ 

"राजीव" छल निछावर नेहक वयन वचन पर  
नेहे सदति स्वभावक पटरा बनल हमर यौ 

२२१२ १२२ २२१२ १२२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

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